राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की जेल में बंद एक कैदी को साकेत कोर्ट से 4 महीने की छुट्टी मिल गई है. इन चार महीनों में यह कैदी लंदन में रह रही अपनी पत्नी के साथ रहेगा और अपना परिवार बढ़ाएगा. इस कैदी की पत्नी लंदन में रहकर एक एमएनसी में नौकरी करती है और भारत आने में असमर्थ है. ऐसे में कोर्ट ने कैदी की अर्जी पर विचार करते हुए कहा कि किसी को परिवार बढ़ाने से नहीं रोक सकते. इसलिए कुछ शर्तों के साथ कैदी को लंदन जाने की अनुमति दी जाती है.
दिल्ली के कालकाजी में रहने वाले रिधम गिरोत्रा 11 साल पहले हुए एक गैर इरादतन हत्या के मामले में जेल में बंद है. इस मामले में अब तक सुनवाई पूरी नहीं हो सकी है. दरअसल साल 2013 में कालकाजी में एक घटना हुई थी. इसमें एक युवक की मौत हो गई थी. पुलिस की केस डायरी के मुताबिक अनमोल ड्रग्स लेने के बाद अपने दोस्तों के साथ हंगामा कर रहा था. उस समय सोसायटी के गार्ड के साथ उसकी हाथापायीं हुई और गार्ड ने बल प्रयोग भी किया.
2019 में भी विदेश गया था कैदी
आरोप है कि इसी दौरान गार्ड के सिर में चोट आई थी और इसी कारण से उसकी मौत हो गई थी. इस मामले में पुलिस ने गार्ड रिधम के खिलाफ गैर इरदातन हत्या का केस दर्ज किया था. वहीं मृतक अनमोल के दोस्तों के खिलाफ एनडीपीएस का मुकदमा दर्ज किया गया. उसी समय से रिधम जेल में बंद है. हालांकि कोर्ट की अनुमति से वह साल 2019 में अपने एक रिश्तेदार की शादी में भाग लेने के लिए फिलीपिंस जा चुका है.इस बार भी जब उसने अदालत में अपना परिवार बढ़ाने के लिए अपनी पत्नी के पास लंदन जाने की अर्जी लगाई तो सरकारी वकील ने कड़ा प्रतिरोध किया.
परिवार बढ़ाने से नहीं रोक सकते: कोर्ट
उन्होंने आशंका जताई कि एक बार देश से बाहर निकलने के बाद वह मामले में आगे की सुनवाई के लिए वापस नहीं लौटेगा. हालांकि कैदी के वकील रवि दराल ने सरकारी वकील की आशंकाओं को खारिज कर दिया. कहा कि कैदी दिसंबर 2019 में भी कोर्ट की अनुमति लेकर जेल से बाहर आया था और विदेश भी गया था. इस बार तो उसके जेल से बाहर आने के लिए बहुत जरूरी वजह है. कोर्ट ने भी दोनों पक्षों को सुनने के बाद माना कि किसी को भी अपना परिवार बढ़ाने से नहीं रोका जा सकता.
लंदन की एमएनसी में काम करती है पत्नी
इस प्रकार कोर्ट ने कैदी रिधम को 28 दिसंबर तक के लिए छुट्टी देते हुए विदेश जाने की अनुमति दे दी है. कैदी के वकील ने कोर्ट को बताया कि 11 साल पहले हुई घटना में अब तक आरोप तय नहीं हुए हैं और मामले में बेवजह समय लग रहा है. इधर, कैदी की शादी दो साल पहले ही हुई है और उसकी पत्नी लंदन की एक एमएनसी में काम करती है. चूंकि वह भारत नहीं आ सकती है, इसलिए अपने परिवार को बढ़ाने के लिए कैदी को ही लंदन जाना होगा. कैदी ने इससे संबंधित सभी जरूरी दस्तावेज भी कोर्ट में दाखिल किए हैं. इसके बाद कोर्ट ने कुछ शर्तों का निर्धारण करते हुए कैदी की अर्जी पर मुहर लगा दी है.